मुंगेर (MUNGER):  बड़ी दुर्गा महारानी पिछले 500 सालों से अपने नियत स्थानों पर हैं पिछले 500 सालों में इनकी सूरत में जरा सा भी अंतर नहीं आया है कोई अलग चेहरा भी देना चाहता है तो नहीं हो पाता कई कलाकार बदले।

इन्हें उठाने के भी 32 कहार की जरूरत पड़ती है उसके बिना यह मां हिलती भी नहीं है।
बड़ी दुर्गा मां दशमी के दिन शाम में 4:00 बजे उठती है और पूरा शहर का भ्रमण करते हुए एकादशी के दिन सुबह 10:00 बजे हनुमान मंदिर में आरती लगने के बाद दिन के 2:00 बजे मुंगेर सोझी घाट में विसर्जन होता है।

इस बार प्रशासन ने दसवीं के दिन ही जबरदस्ती दुर्गा विसर्जन का फरमान सुनाया लोगों ने मना कर दिया तो प्रशासन ने जबरन कहार को बुलाकर मूर्ति को उठाने को कहा कहार ने मना कर दिया तो उनके साथ मारपीट किया जिसके कारण सारे कहार भाग गए।

लेकिन मुंगेर के बड़ी दुर्गा मां की विशेषता है कि बिना 32 कहार के यह मूर्ति अपने स्थान से इंच भर भी नहीं मिलती है मूर्ति को नहीं हिलना था मूर्ति नहीं हिली इस क्रम में 6 घंटे निकल गए प्रशासन को गुस्सा आ गया इस चक्कर में वह मूर्ति के साथ जोर जबरदस्ती करने लगे जिस कारण मूर्ति के बाएं हाथ में कुछ खरोच लग गई और टूट हो गई फिर भी मूर्ति अपने स्थान से नहीं ली अब प्रशासन का सब्र जवाब दे गया और वह मूर्ति के साथ बिना नियम धर्म देखें जबरदस्ती से उठाने की कोशिश करने लगे स्थानीय लोग यह देखकर प्रशासन का विरोध करने लगे बस प्रशासन ने गोली चला दी।

iफिर किसी तरह से इन सारे 32 कहारों को ढूंढ कर लाया गया इन सब चक्कर में सुबह हो गई फिर सुबह में एकादशी के दिन ही जाकर मूर्ति उठी है और विसर्जन हुई है प्रशासन का घमंड मां दुर्गा ने तोड़ दिया रात में प्रशासन चाह करके भी मूर्ति विसर्जन नहीं कर पाया।

अभिषेक कुमार

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